जागरण: हमारे जीवन में बढ़ते जा रहा टेक्नोलॉजी का दखल, कोडिंग के फील्ड में अपार संभावनाएं

  •  19 August 2020
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अंशु सिंह। Fields Of Programming आजकल एंड्रॉयड डेवलपमेंट से लेकर इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स तथा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सूट आदि के इस्तेमाल में जावा, पाइथन या सी प्लस प्लस जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की भूमिका अहम होती है। आने वाले समय में जब गेम्स, एप्स, रोबोट्स, ऑटोनोमस कार, टेक्नोलॉजी का दखल हमारे जीवन में बढ़ने जा रहा है, तो कोडिंग यानी प्रोग्रामिंग के फील्ड में करियर बनाना काफी लुभावना हो सकता है…

एपल के सीईओ टिम कुक की मानें, तो कोडिंग सीखने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं है। दुनिया के साथ-साथ भारत के बच्चों ने भी इसे साबित कर दिखाया है। 14 वर्षीय अश्वथ प्रसन्ना को ही लें। इनके द्वारा डेवलप किए गए कई एप्स एपल के एप स्टोर पर मौजूद हैं। बेंगलुरु स्थित एपल के एप एक्सलेटर सेंटर से मेंटरिंग हासिल करने के पश्चात प्रसन्ना खुद भी कार्यशालाएं आयोजित कर अन्य बच्चों को कोडिंग सिखाते हैं। वे स्कूलों में ई-सेफ्टी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम करते हैं।

भारत के मूल निवासी और टोरंटो में रह रहे 16 वर्षीय तन्मय बख्शी की विलक्षण प्रतिभा को दुनिया देख चुकी है। आइबीएम के एआइ एक्सपर्ट होने के साथ ही इनका यूट्यूब पर च्तन्मय टीचेजज् नाम से अपना चैनल भी है, जहां वे मशीन लर्निंग, एआइ, कोडिंग से लेकर अन्य विषयों पर क्लासेज लेते हैं। इनके सब्सक्राइबर्स की संख्या तीन लाख से ऊपर है। मीनल, शोभित, ऋतुराज, श्वेता, छह से 13 साल की उम्र के बीच के हैं। लेकिन इन्होंने एडुटेक स्टार्टअप च्व्हाइटहैट जेआरज् के माध्यम से कोडिंग सीखी और उसके बाद कई इनोवेटिव एप्स भी डेवलप किए। नई शिक्षा नीति में भी छठी कक्षा से बच्चों को कोडिंग सिखाने का प्रस्ताव है, क्योंकि भविष्य में यह काफी कारगर साबित होने वाला है।

एक लाख युवाओं की स्किल ट्रेनिंग: देश को स्किल्ड नेशन में बदलने के लिए नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी एनएसडीसी के ई-स्किल पोर्टल ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ पार्टनरशिप की है। इसके तहत अगले १२ महीने में एक लाख से अधिक युवाओं को डिजिटल स्किल्स में ट्रेन किया जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के प्रेसिडेंट अनंत माहेश्वरी के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट लर्निंग रिसोर्स सेंटर, माइक्रोसॉफ्ट लर्न एवं ई-स्किल डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से युवा कहीं बैठे नि:शुल्क कस्टमाइज्ड लर्निंग रिसोर्स एवं कंटेंट प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा, डिजिटल स्किलिंग अवेयरनेस ड्राइव (वेबिनार, वर्चुअल सेशन, ई-स्किलिंग इवेंट्स) चलाए जाएंगे, ताकि अगली पीढ़ी डिजिटल इकोनॉमी के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सके। वहीं, एनएसडीसी के सीईओ एवं एमडी डॉ. मनीष कुमार की मानें, तो इस पार्टनरशिप का मकसद ही युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाना, उनकी स्किल को अपग्रेड करना है। क्योंकि मशीन लर्निंग, कोडिंग, र्आिटफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञों की ही आने वाले दौर में मांग होगी।

क्या है कोडिंग?: कोडिंग को प्रोग्रामिंग के रूप में भी जाना जाता है यानी कंप्यूटर का सारा काम इसी के जरिये होता है। कोडिंग के जरिये ही कंप्यूटर को बताया जाता है कि उसे क्या करना है। जिन्हें कोडिंग लैंग्वेज आती है, वे आसानी से वेबसाइट या एप डेवलप कर सकते हैं। यूट्यूब चैनल वेब टेक टॉकीज के संस्थापक तरनजीत सिंह के अनुसार, कोडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें प्रोग्रामर से मिले निर्देशों को किसी न किसी कंप्यूटर भाषा में लिखा जाता है। प्रोग्रामिंग में हमें चीजें सीखनी होती हैं। इसलिए इसमें तजुर्बा और अलग सोचने का तरीका बहुत मदद करता है।

शैक्षिक योग्यता: एडटेक स्टार्टअप बीसिंगुलर के संस्थापक नीतेश जैन कहते हैं कि किसी भी बैकग्राउंड, स्ट्रीम के युवा कोडिंग सीख सकते हैं। मेरी मानें तो तीसरे लैंग्वेज के तौर पर हर किसी को यह सीखना चाहिए। यह एक यूनिवर्सल लैंग्वेज है। इसमें टेक्निकल एवं नॉन-टेक्निकल दोनों बैकग्राउंड के स्टूडेंट करियर बना सकते हैं। लेकिन कंप्यूटर साइंस, वेब डेवलपमेंट, प्रोग्रामिंग, इंफॉर्मेशन सिस्टम आदि में ग्रेजुएशन करना फायदेमंद रहेगा। प्रोग्रामिंग या कोडिंग करने के लिए सी, सी प्लस प्लस, जावा स्क्रिप्ट, एचटीएमएल, सीएसएस, पीएचपी, जावा, हेलो, पाइथन आदि की अच्छी नॉलेज होनी चाहिए। चाहें, तो घर बैठे एप या ऑनलाइन माध्यमों से भी सीख सकते हैं।

संभावनाएं: जानकारों की राय में अन्य क्षेत्रों की तुलना में कोडिंग में करियर बनाना एक अलग अनुभव होता है। इसमें काफी मेहनत की दरकार होती है। कोडिंग स्किल में खुद को पारंगत करने और उसे निरंतर अपग्रेड करते रहने से नौकरी मिलने में आसानी होगी। कोडर्स की मांग टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों के अलावा गैर-तकनीकी क्षेत्र में भी देखी जा रही हैं, जैसे-फाइनेंस, हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग आदि में इनके लिए बेहतर विकल्प हैं।

कोडिंग एक्सपर्ट्स की हर सेक्टर में है अच्छी डिमांड: बीसिंगुलर के सीईओ एवं संस्थापक नीतेश जैन ने बताया कि कोडिंग एक्सपट्र्स की डिमांड इन दिनों हर सेक्टर में देखी जा रही है। बीते चार वर्षों में ही सात लाख से अधिक नौकरियों में कोडिंग स्किल्स की मांग रही। अगर प्रोग्रामिंग से संबंधित नौकरियों की बात करें, तो वह भी 12 फीसद की दर से बढ़ रही है।

टेक इंडस्ट्री की ग्रोथ के साथ नए प्रोफाइल्स के एक्सपर्ट्स की मांग अचानक से बढ़ गई है। इससे युवाओं के सामने भी मल्टीपल ऑप्शंस खुल गए हैं। वे डाटा साइंटिस्ट, इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट, वेब-मोबाइल एप डेवलपर, डेवऑप्स इंजीनियर, बिजनेस इंटेलिजेंस एनालिस्ट, वेब डिजाइनर, कंप्यूटर नेटवर्क आर्किटेक्ट के तौर पर करियर बना सकते हैं। इसके अलावा, 2024 तक थ्री डी प्रिंटिंग एक्सपर्ट, क्वांटम मशीन लर्निंग एनालाइजेशन, एआइ, मशीन लर्निंग बिजनेस डेवलपमेंट एवं ऑगमेंटेड रिएलिटी के क्षेत्र में असीम संभावनाएं होंगी। अच्छी बात यह है कि केंद्र सरकार द्वारा हाल में मंजूर नई शिक्षा नीति में छठी से कोडिंग सिखाने का प्रस्ताव है। इससे युवाओं को बेहतर तरीके से भविष्य के लिए तैयार कर सकेंगे।

Published on Jagran

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